जीर्णोद्यानान्यरण्यानि कारुकावेशनानि च । शून्यानि चाप्यगाराणि वनान्युपवनानि च

सभाओं के आयोजन स्थल, प्याऊ, मालपूआ आदि बेचने का स्थान (भोजनालय, हलवाइयों की दुकान आदि), वेश्याघर, मद्यस्थान, अनाज बेचने का स्थान (मण्डी आदि), चौराहे, प्रसिद्धवृक्ष जहां लोग इकट्ठे होकर बैठते हैं, सार्वजनिक स्थान, तमाशे के स्थान, पुराने बगीचे और जंगल, शिल्पियों के स्थान, सूने पड़े हुए घर, वन और उपवन, राजा ऐसे स्थानों मे चोरों को रोकने के लिए, एक स्थान पर रहने वाले और गश्त लगाने वाले सिपाहियों को और गुप्तचरों को विचरण कराये या नियुक्त करे ।

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