सा चेदक्षतयोनिः स्याद्गतप्रत्यागतापि वा । पौनर्भवेन भर्त्रा सा पुनः संस्कारं अर्हति

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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