ददौ स दश धर्माय कश्यपाय त्रयोदश । सोमाय राज्ञे सत्कृत्य प्रीतात्मा सप्तविंशतिम् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *