(अब मैं) (धर्मे वर्त्मनि तिष्ठतोः) धर्ममार्ग पर चलने वाले (स्त्रियाः च पुरुषस्य एव) स्त्री-पुरुष के (संयोगे च विप्रयोगे) संयोगकालीन = साथ रहने तथा वियोगकालीन = अलग रहने के (शाश्वतान् धर्मान् वक्ष्यामि) सदैव पालन करने योग्य धर्मों = कर्त्तव्यों को कहूंगा-