देवब्राह्मणसांनिध्ये साक्ष्यं पृच्छेदृतं द्विजान् । उदङ्मुखान्प्राङ्मुखान्वा पूर्वाह्णे वै शुचिः शुचीन्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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