एषु स्थानेषु भूयिष्ठं विवादं चरतां नृणाम् । धर्मं शाश्वतं आश्रित्य कुर्यात्कार्यविनिर्णयम् ।

इन व्यवहारों में बहुत से विवाद करने वाले पुरूषों के न्याय को सनातन – धर्म का आश्रय करके किया करे अर्थात् किसी का पक्षपात कभी न करे ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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