Adhyay : 8 Mantra : 382 Back to listings वैश्यश्चेत्क्षत्रियां गुप्तां वैश्यां वा क्षत्रियो व्रजेत् । यो ब्राह्मण्यां अगुप्तायां तावुभौ दण्डं अर्हतः । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related