सहस्रं ब्राह्मणो दण्ड्यो गुप्तां विप्रां बलाद्व्रजन् । शतानि पञ्च दण्ड्यः स्यादिच्छन्त्या सह संगतः

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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