. क्यों कि पापी – दुष्टों को वश में करने और दण्ड देने से तथा श्रेष्ठ लोगों की सुरक्षा करने से राजा लोग जैसे द्विजवर्ण वाले यज्ञों से पवित्र होते हैं ऐसे ही पवित्र अर्थात् पुण्यवान् और निर्मल यशवान् होते हैं ।
. क्यों कि पापी – दुष्टों को वश में करने और दण्ड देने से तथा श्रेष्ठ लोगों की सुरक्षा करने से राजा लोग जैसे द्विजवर्ण वाले यज्ञों से पवित्र होते हैं ऐसे ही पवित्र अर्थात् पुण्यवान् और निर्मल यशवान् होते हैं ।