Adhyay : 8 Mantra : 280 Back to listings पाणिं उद्यम्य दण्डं वा पाणिच्छेदनं अर्हति । पादेन प्रहरन्कोपात्पादच्छेदनं अर्हति Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related