श्रुतं देशं च जातिं च कर्म शरीरं एव च । वितथेन ब्रुवन्दर्पाद्दाप्यः स्याद्द्विशतं दमम्

कोई मनुष्य किसी मनुष्य के विद्या देश वर्ण और शरीर – सम्बन्धी कर्म के विषय में घमण्ड में आकर झूठी निन्दा अथवा गलत बात करे, उसे दो सौ पण दण्ड देना चाहिए ।

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