शिरोभिस्ते गृहीत्वोर्वीं स्रग्विणो रक्तवाससः । सुकृतैः शापिथाः स्वैः स्वैर्नयेयुस्ते समञ्जसम्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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