‘‘और जो अपने से अग्नि, वायु, सूर्य, सोम, धर्म, प्रकाशक, धनवर्द्धक, दुष्टों का बन्धनकत्र्ता, बड़े ऐश्वर्य वाला हो वही सभाध्यक्ष सभेश होने योग्य होवे ।’’
(स० प्र० षष्ठ समु०)
वह राजा अपने प्रभाव के कारण कभी अग्नि के समान गुणों वाला (७।४) और वायु के गुणों वाला सूर्य के समान चन्द्र के समान यम के समान न्यायकारी ऐश्वर्य – सम्पन्न वरूण के समान और कभी वह इन्द्र के समान स्वरूप धारण करता है ।