. ‘‘दूत उसको कहते हैं जो फूट में मेल और मिले हुए दुष्टों को फोड़ – तोड़ देवे, दूत वह कर्म करे जिससे शत्रुओं में फूट पड़े ।’’
(स० प्र० षष्ठ समु०)
क्यों कि दूत ही ऐसा व्यक्ति होता है जो मेल करा देता है और मिले हुए शत्रुओं में फूट भी डाल देता है, दूत वह काम कर देता है जिससे शत्रुओं के लोगों में भी फूट पड़ जाती है ।