अमात्ये दण्ड आयत्तो दण्डे वैनयिकी क्रिया । नृपतौ कोशराष्ट्रे च दूते संधिविपर्ययौ ।

अमात्य को दण्डाधिकार दण्ड में विनय – अनुशासित क्रिया अर्थात् जिससे अन्यायरूप दण्ड न होने पावे राजा के अधीन कोश और राष्ट्र तथा सभा के अधीन सब कार्य और दूत के अधीन किसी से मेल वा विरोध करना अधिकार देवे ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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