अन्यानपि प्रकुर्वीत शुचीन्प्राज्ञानवस्थितान् । सम्यगर्थसमाहर्तॄनमात्यान्सुपरीक्षितान् ।

अन्य भी बुद्धिमान् निश्चित बुद्धि पदार्थों के संग्रह करने में अतिचतुर सुपरीक्षित मंत्री करे ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

‘‘इसी प्रकार अन्य भी राज्य और सेना के अधिकारी जितने पुरूषों से राज्यकार्य सिद्ध हो सके उतने ही पवित्र, धार्मिक, विद्वान् चतुर, स्थिरबुद्धि पुरूषों को राज्यसामग्री के वर्धक नियत करे ।’’

(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)

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