सह सर्वाः समुत्पन्नाः प्रसमीक्ष्यापदो भृशम् । संयुक्तांश्च वियुक्तांश्च सर्वोपायान्सृजेद्बुधः

सब प्रकार की आपत्तियां तीव्ररूप में और एक सा उपस्थित हुई देखकर बुद्धिमान् सम्मिलित रूप से और पृथक् – पृथक् रूप से अर्थात् जैसे भी उचित समझे सब उपायों को उपयोग में लावे ।

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