विंशतीशस्तु तत्सर्वं शतेशाय निवेदयेत् । शंसेद्ग्रामशतेशस्तु सहस्रपतये स्वयम् । ।

और बीस ग्रामों का अधिपति बीस ग्रामों के वर्तमान को (बीस ग्रामों की स्थिति को) शतग्रामाधिपति को नित्यप्रति निवेदन करे वैसे सौ – सौ ग्रामों के पति आप सहस्त्राधिपति अर्थात् हजार ग्रामों के स्वामी को सौ – सौ ग्रामों के वर्तमान को प्रतिदिन जनाया करें ।

(स० प्र० षष्ठ समु०)

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