Adhyay : 5 Mantra : 63 Back to listings निरस्य तु पुमाञ् शुक्रं उपस्पृस्यैव शुध्यति । बैजिकादभिसंबन्धादनुरुन्ध्यादघं त्र्यहम् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related