प्रेतशुद्धिं प्रवक्ष्यामि द्रव्यशुद्धिं तथैव च । चतुर्णां अपि वर्णानां यथावदनुपूर्वशः ।

अब मैं चारो वर्णों की क्रमशः (पहले) मृत्यु के बाद की जाने वाली शुद्धि और (फिर) उसी प्रकार चारों वर्णों के लिए पदार्थों की शुद्धि को कहूंगा ।

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