Adhyay : 5 Mantra : 52 Back to listings स्वमांसं परमांसेन यो वर्धयितुं इच्छति । अनभ्यर्च्य पितॄन्देवांस्ततोऽन्यो नास्त्यपुण्यकृत् Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related