जो व्यक्ति अपने सुख की इच्छा से कभी न मारने योग्य प्राणियों की हत्या करता है वह जीते हुए और मरकर भी कहीं भी सुख को प्राप्त नहीं करता ।
जो व्यक्ति अपने सुख की इच्छा से कभी न मारने योग्य प्राणियों की हत्या करता है वह जीते हुए और मरकर भी कहीं भी सुख को प्राप्त नहीं करता ।