या वेदविहिता हिंसा नियतास्मिंश्चराचरे । अहिंसां एव तां विद्याद्वेदाद्धर्मो हि निर्बभौ

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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