Adhyay : 5 Mantra : 44 Back to listings या वेदविहिता हिंसा नियतास्मिंश्चराचरे । अहिंसां एव तां विद्याद्वेदाद्धर्मो हि निर्बभौ Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related