Adhyay : 5 Mantra : 164 Back to listings व्यभिचारात्तु भर्तुः स्त्री लोके प्राप्नोति निन्द्यताम् । शृगालयोनिं प्राप्नोति पापरोगैश्च पीड्यते । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related