Adhyay : 5 Mantra : 153 Back to listings अनृतावृतुकाले च मन्त्रसंस्कारकृत्पतिः । सुखस्य नित्यं दातेह परलोके च योषितः Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related