यो यस्य मांसं अश्नाति स तन्मांसाद उच्यते । मत्स्यादः सर्वमांसादस्तस्मान्मत्स्यान्विवर्जयेत्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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