कुसूलधान्यको वा स्यात्कुम्भीधान्यक एव वा । त्र्यहैहिको वापि भवेदश्वस्तनिक एव वा

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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