विनीतैस्तु व्रजेन्नित्यं आशुगैर्लक्षणान्वितैः । वर्णरूपोपसंपन्नैः प्रतोदेनातुदन्भृशम् ।

. सिखाये हुए सुन्दर लक्षणों से युक्त सुन्दर रंग – रूप से युक्त शीघ्रगामी पशुओं से चाबुक की मार से बहुत पीड़ा न देता हुआ सवारी करे ।

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