उदके मध्यरात्रे च विण्मूत्रस्य विसर्जने । उच्छिष्टः श्राद्धभुक्चैव मनसापि न चिन्तयेत्

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

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