सब प्राणियों के व्याप्त या आश्रयरूप परमात्मा की सत्ता का स्मरण करने के लिए (‘ओं सर्वात्मभूतये नमः’ से) घर के पृष्ठभाग में बलिभाग रखे शेष बलिभाग को माता – पिता, आचार्य, अतिथि, भूत्य आदिकों को सम्मानपूर्वक भोजन कराने की भावना को स्मरण करने के लिए (‘ओं पितृभ्यः स्वधायिभ्यः स्वधा नमः’ इस मन्त्र से) घर के दक्षिण भाग में रखे ।
‘‘सर्वात्मभूतये नमः । इन भागों को जो कोई अतिथि हो तो उसको जिमा देवे अथवा अग्नि में छोडत्र देवे ।’’
(सत्यार्थ० चतुर्थ समु०)