बलिवैश्वदेव यज्ञ का विधान –
ब्राह्मण एवं द्विज व्यक्ति पाकशाला की अग्नि में सिद्ध – तैयार हुए बलिवैश्वदेव यज्ञ के भाग वाले भोजन का प्रतिदिन इन देवताओं के लिए आहुति देकर हवन करे –
‘‘चैथा वैश्वदेव – अर्थात् जब भोजन सिद्ध हो तब जो कुछ भोजनार्थ बने उसमें से खट्ठा लवणान्न और क्षार को छोड़के घृत मिष्टयुक्त अन्न लेकर चूल्हे से अग्नि अलग धर निम्नलिखित मन्त्रों से विनयपूर्वक होम नित्य करे’’
(सत्यार्थ० चतुर्थ समु०)