पञ्च सूना गृहस्थस्य चुल्ली पेषण्युपस्करः । कण्डनी चोदकुम्भश्च बध्यते यास्तु वाहयन् ।

पंच्चमहायज्ञों के अनुष्ठान का कारण

चूल्हा चक्की झाडू ओखली तथा पानी का घड़ा गृहस्थियों के ये पाँच हिंसा के स्थान हैं जिनको प्रयोग में लाते हुए गृहस्थी व्यक्ति हिंसा के पाप से बंध जाता है ।

‘‘प्रश्न – क्या इस होम कराने के बिना पाप होता है ।

उत्तर – हां क्यों कि जिस मनुष्य के शरीर से जितना दुर्गन्ध पैदा हो के वायु और जल को बिगाड़ कर रोगोत्पत्ति का निमित्त होने से प्राणियों को दुःख प्राप्त करता है उतना ही पाप उस मनुष्य को होता है । इसलिये उस पाप के निवारणार्थ उतना सुगन्ध वा उससे अधिक वायु और जल में फैलाना चाहिये ।’’

(सत्यार्थ० तृतीय समु० होमप्रकरण)

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