गृहस्थी पुरूष विवाह के बाद प्रज्वलित की जाने वाली अग्नि अर्थात् गार्हस्थ्यरूप अग्नि में गृहस्थ के सभी कत्र्तव्यों को उचित विधि के अनुसार करे होम, दैव आदि (३।७०) पांचों यज्ञों को तथा प्रतिदिन का भोजन पकाना ये भी करे ।
गृहस्थी पुरूष विवाह के बाद प्रज्वलित की जाने वाली अग्नि अर्थात् गार्हस्थ्यरूप अग्नि में गृहस्थ के सभी कत्र्तव्यों को उचित विधि के अनुसार करे होम, दैव आदि (३।७०) पांचों यज्ञों को तथा प्रतिदिन का भोजन पकाना ये भी करे ।