यदि स्त्री पुरूष पर रूचि न रखे वा पुरूष को प्रहर्षित न करे तो अप्रसन्नता से पुरूष के शरीर में कामोत्पत्ति न होके सन्तान नहीं होते, और होते हैं तो दुष्ट होते हैं ।
(सं० वि० गृहाश्रम प्र०)
‘‘जो स्त्री पति से प्रीति और पति को प्रसन्न नहीं करती तो पति के अप्रसन्न होने से काम उत्पन्न नहीं होता ।’’
(स० प्र० चतुर्थ समु०)