सुप्तां मत्तां प्रमत्तां वा रहो यत्रोपगच्छति । स पापिष्ठो विवाहानां पैशाचश्चाष्टमोऽधमः

जो सोती, पागल हुई वा नशा पीकर उन्मत्त हुई कन्या को एकान्त पाकर दूषित कर देना यह सब विवाहों में नीच से नीच – महानीच, दुष्ट अतिदुष्ट, ‘पैशाच विवाह’ है ।

(सं० वि० विवाह सं०)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *