वर और कन्या की इच्छा से दोनों का संयोग होना और अपने मन में यह मान लेना कि हम दोनों का संयोग होना और अपने मन में यह मान लेना कि हम दोनों स्त्री – पुरूष हैं यह काम से हुआ वह ‘गान्धर्व विवाह’ कहाता है ।
(सं० वि० विवाह सं०)
वर और कन्या की इच्छा से दोनों का संयोग होना और अपने मन में यह मान लेना कि हम दोनों का संयोग होना और अपने मन में यह मान लेना कि हम दोनों स्त्री – पुरूष हैं यह काम से हुआ वह ‘गान्धर्व विवाह’ कहाता है ।
(सं० वि० विवाह सं०)