Adhyay : 3 Mantra : 260 Back to listings एवं निर्वपणं कृत्वा पिण्डांस्तांस्तदनन्तरम् । गां विप्रं अजं अग्निं वा प्राशयेदप्सु वा क्षिपेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related