Adhyay : 3 Mantra : 217 Back to listings आचम्योदक्परावृत्य त्रिरायम्य शनैरसून् । षडृतूंश्च नमस्कुर्यात्पितॄनेव च मन्त्रवत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related