Adhyay : 3 Mantra : 137 Back to listings ज्यायांसं अनयोर्विद्याद्यस्य स्याच्छ्रोत्रियः पिता । मन्त्रसंपूजनार्थं तु सत्कारं इतरोऽर्हति । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related