न श्राद्धे भोजयेन्मित्रं धनैः कार्योऽस्य संग्रहः । नारिं न मित्रं यं विद्यात्तं श्राद्धे भोजयेद्द्विजम् ।

यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है .

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *