Adhyay : 3 Mantra : 133 Back to listings यावतो ग्रसते ग्रासान्हव्यकव्येष्वमन्त्रवित् । तावतो ग्रसते प्रेतो दीप्तशूलर्ष्ट्ययोगुडान् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related