न पूर्वं गुरवे किं चिदुपकुर्वीत धर्मवित् । स्नास्यंस्तु गुरुणाज्ञप्तः शक्त्या गुर्वर्थं आहरेत् ।

गुरू दक्षिणा का विधान एवं नियम

धर्म वित् विधि का ज्ञाता शिष्य स्नास्यन् तु स्नातक बनने समावर्तन कराने की इच्छा होने पर गुरूणा + आज्ञप्तः गुरू से आज्ञा प्राप्त करके शक्त्वा शक्ति के अनुसार गुर्वर्थम् गुरू के लिए आहरेत् दक्षिणा प्रदान करे पूर्वं गुरवे किंचित् न उपकुर्वीत् समावर्तन से पहले गुरू को दक्षिणा के रूप में कुछ न दे ।

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