गुरू दक्षिणा का विधान एवं नियम
शिष्य यथाशक्ति क्षेत्रम् भूमि हिरण्यम् सोना गाम् गौ अश्वम् घोड़ा छत्र – उपानहम् आसनम् छाता, जूता, आसन धान्यम् अन्न वासांसि वस्त्र वा अथवा शाकम् शाक गुरवे गुरू के लिए प्रीतिम् आवहेत् प्रीति – पूर्वक दक्षिणा में दे ।
गुरू दक्षिणा का विधान एवं नियम
शिष्य यथाशक्ति क्षेत्रम् भूमि हिरण्यम् सोना गाम् गौ अश्वम् घोड़ा छत्र – उपानहम् आसनम् छाता, जूता, आसन धान्यम् अन्न वासांसि वस्त्र वा अथवा शाकम् शाक गुरवे गुरू के लिए प्रीतिम् आवहेत् प्रीति – पूर्वक दक्षिणा में दे ।