गुरुपत्नी तु युवतिर्नाभिवाद्येह पादयोः । पूर्णविंशतिवर्षेण गुणदोषौ विजानता

युवती गुरूपत्नी के चरणस्पर्श का निषेध –

पूर्णविंशतिवर्षेण जिसके बीस वर्ष पूर्ण हो चुके हैं ऐसे गुण दोषौ विजानता गुण और दोषों को समझने में समर्थ युवक शिष्य को युवतिः गुरूपत्नी तु जवान गुरूपत्नी का पादयोः न अभिवाद्या चरणों का स्पर्श करके अभिवादन नहीं करना चाहिए अर्थात् बिना चरणस्पर्श किये ही उसका अभिवादन करे । उसकी विधि २।१९१ में वर्णित है ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *