प्रतिश्रावणसंभाषे शयानो न समाचरेत् । नासीनो न च भुञ्जानो न तिष्ठन्न पराङ्मुखः

प्रतिश्रवण + संभाषे प्रतिश्रवण अर्थात् गुरू की बात या आज्ञा का उत्तर देना, या स्वीकृति देना, और संभाषा – बातचीत, ये शयानः न समाचरेत् लेटे हुए न करे न आसीनः न बैठे – बैठे न भुञ्जानः न कुछ खाते हुए च और न तिष्ठन् न दूर खड़े होकर न पराड्मुखः न मुँह फेरकर ये बातें करें ।

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