Adhyay : 2 Mantra : 156 Back to listings स्वप्ने सिक्त्वा ब्रह्मचारी द्विजः शुक्रं अकामतः । स्नात्वार्कं अर्चयित्वा त्रिः पुनर्मां इत्यृचं जपेत् । Leave a comment यह प्रक्षिप्त श्लोक है और मनु स्मृति का भाग नहीं है . Related