चातुर्वर्ण्यं त्रयो लोकाश्चत्वारश्चाश्रमाः पृथक् । भूतं भव्यं भविष्यं च सर्वं वेदात्प्रसिध्यति

चार वर्ण, चार आश्रम, भूत, भविष्यत और वर्तमान आदि की सब विद्या वेदों से ही प्रसिद्ध होती है । (ऋ. भा. भू. वेदविषयविचार)

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