उत्पद्यन्ते च्यवन्ते च यान्यतोऽन्यानि कानि चित् । तान्यर्वाक्कालिकतया निष्फलान्यनृतानि च । ।

जो इन वेदों से विरुद्ध ग्रन्थ उत्पन्न होते है वे आधुनिक होने से शीघ्र नष्ट हो जाते है, उनका मानना निष्फल और झूठा है ।

अनुशीलन- यहां वेदविरुद्ध ग्रन्थों के आधुनिक होने से अभिप्राय यह है कि वेदों की मान्याएं प्राचीनतम एवं सनातन है, किन्तु वेदविरुद्ध ग्रन्थों की मान्यताएं परवर्ती है । और वे सत्य न होने से बनती है, फिर नष्ट हो जाती है, वेदों की मान्यताएओं की तरह सनातन नहीं ।

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