राजानः क्षत्रियाश्चैव राज्ञां चैव पुरोहिताः । वादयुद्धप्रधानाश्च मध्यमा राजसी गतिः ।

जो मध्यम रजोगुणी होते है वे राजा, क्षत्रियवर्णस्थ, राजाओं के पुरोहित, वाद-विवाद करने वाले-दूत, प्राड्विवाक=वकील, बैरिस्टर, युद्ध-विभाग के अध्यक्ष के जन्म पाते हैं ।

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